यदि ‘ज्ञानी पुरुष’ का सिर्फ एक ही अक्षर समझ में आ जाए तो कल्याण हो जाए!
परम पूज्य दादा भगवान‘कोई जीव, किसी जीव में किंचित्मात्र दखलंदाज़ी नहीं कर सकता’ यह सिद्धांत यदि कोई समझ जाए तो वह खुद स्वतंत्र हो जाए!
परम पूज्य दादा भगवानहमारे विचार किसी से मिलते-जुलते हों तो वह बहुत जोखिम भरा है। विचार मिलते-जुलते हों ऐसा ज़रूरी नहीं है, समझ होनी चाहिए। विचार मोक्ष में नहीं ले जाते हैं, समझ मोक्ष में ले जाती है!
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